ये रास्ता है मुश्किल काँटे हैं हर कदम पर,
ये रास्ता है मुश्किल काँटे हैं हर कदम पर,
दो बूँद बस खुशी है, है दर्द का समंदर,
क्या चल सकोगे बोलो अनजान इस डगर पर?
कुछ सोचना है तुमको तो जाओ, लौट जाओ !
माना कि उलझनें हैं, माना हैं बेड़ियाँ भी,
माना है रात काली, माना हैं आँधियाँ भी
जिस मोड़ पर खड़े हैं वो मोड़ पर अजब है
सब द्वार अधखुले हैं, दिखती हैं खिड़कियाँ भी,
फिर वापसी न होगी जो चल पड़े सफर पर
गर लौटना है तुमको तो जाओ, लौट जाओ !
कुछ सोचना है तुमको तो जाओ, लौट जाओ !
~ प्रवेश कुमार
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