गन्ने की नर्सरी बनाने की पूरी जानकारी | Sugarcane Nursery Guide in Hindi
गन्ने की नर्सरी बनाने की पूरी जानकारी | Sugarcane Nursery Guide in Hindi
इस लेख में गन्ने की नर्सरी का महत्व, सही किस्म का चयन, खेत की तैयारी, बीज की छिलाई व उपचार, रोपाई, सिंचाई, खाद प्रबंधन, रोग-कीट नियंत्रण, पौध की देखभाल और क्रेट्स विधि की पूरी जानकारी दी गई है। किसान भाई इसे अपनाकर बेहतर पौधे और अधिक पैदावार पा सकते हैं
परिचय (Introduction)
भारत में गन्ना सबसे महत्वपूर्ण नगदी फसल है। अच्छी पैदावार के लिए पौध की गुणवत्ता बहुत मायने रखती है। गन्ने की नर्सरी से स्वस्थ, समान और रोग-मुक्त पौध तैयार की जा सकती है, जिससे उत्पादन 15–20% तक बढ़ जाता है।
1️⃣ गन्ने की नर्सरी का महत्व (Importance of Sugarcane Nursery)
- स्वस्थ और समान आकार के पौधे मिलते हैं।
- बीज गन्ने की कम आवश्यकता होती है (कम लागत)।
- पौध जल्दी और मजबूत बनती है।
- फसल एकसमान होती है जिससे कटाई और देखभाल आसान रहती है।
- Gap Filling आसान – अगर कोई पौधा कमजोर या अंकुरित नहीं हुआ तो उसे तुरंत बदलकर पूरा किया जा सकता है।
👉 टिप: नर्सरी से तैयार पौध को खेत में लगाने से उत्पादन बढ़ता है और खर्च कम होता है।
2️⃣ सही किस्म का चयन (Variety Selection)
- Co-0238, Co-118, CoJ-64, CoSe-95422 – उत्तर प्रदेश के लिए लोकप्रिय किस्में।
- रोग प्रतिरोधक और उच्च पैदावार वाली किस्में चुनें।
👉 सावधानी: अपने क्षेत्र की कृषि विज्ञान केंद्र या शुगर मिल द्वारा अनुशंसित किस्म ही लगाएँ।
3️⃣ खेत की तैयारी (Field Preparation)
- 2–3 गहरी जुताई करके खेत को भुरभुरा करें।
- पाटा लगाकर समतल करें।
- खेत में नमी बनी रहनी चाहिए।
- अच्छे जल निकास की व्यवस्था रखें।
4️⃣ बीज की छिलाई और उपचार (Seed Preparation & Treatment)
- गन्ने की ऊपरी 2/3 भाग बीज के लिए उपयुक्त होता है।
- 2–3 आँखों वाले टुकड़े (Setts) काटें।
उपचार:
फफूंद से बचाव – कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम/लीटर पानी में 10 मिनट डुबोएँ।
कीट से बचाव – क्लोरोपायरीफॉस 2.5 मि.ली./लीटर पानी मिलाएँ।
👉 टिप: स्वस्थ और रोग-मुक्त गन्ने का ही उपयोग करें।
5️⃣ रोपाई का तरीका (Planting Method)
- कतार से कतार की दूरी: 90 सेमी–1 मीटर
- पौध से पौध की दूरी: 20–25 सेमी
- बीज गन्ने को नमीदार मिट्टी में 5–7 सेमी गहराई पर लगाएँ।
👉 सावधानी: बीज को उल्टा न लगाएँ, आँख ऊपर की ओर रहे।
6️⃣ सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management)
- रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।
- गर्मी में हर 7–10 दिन और सर्दी में 15–20 दिन पर सिंचाई करें।
- पानी का जमाव न होने दें, वरना पौध गल सकती है।
7️⃣ उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Management)
- नर्सरी के लिए प्रति हेक्टेयर 100 किग्रा नाइट्रोजन (N), 60 किग्रा फॉस्फोरस (P), 40 किग्रा पोटाश (K) की आवश्यकता होती है।
- पूरी फॉस्फोरस और पोटाश तथा 1/3 नाइट्रोजन बुवाई के समय दें।
- शेष नाइट्रोजन 2–3 बार में दें।
👉 टिप: गोबर की खाद/वर्मी कम्पोस्ट मिलाने से पौधे और स्वस्थ होते हैं।
8️⃣ रोग और कीट नियंत्रण (Pest & Disease Management)
लाल सड़न रोग – बीज का फफूंदनाशी उपचार करें।
गड्डा रोग – समय पर जल निकासी रखें।
दीमक – क्लोरोपायरीफॉस का प्रयोग करें।
तना छेदक कीट – क्लोरेंट्रानिलिप्रोल या कार्बोफ्यूरान का प्रयोग करें।
👉 सावधानी: रोगग्रस्त पौधे को तुरंत निकाल दें।
9️⃣ पौध की देखभाल (Nursery Care)
- समय-समय पर निराई-गुड़ाई करें।
- खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडिमेथालिन का प्रयोग किया जा सकता है।
- पौध को 60–70 दिन तक अच्छी देखभाल दें।
🔟 पौध तैयार होने पर (Transplanting Stage)
- 60–70 दिन बाद पौध 30–40 सेमी लंबी हो जाती है।
- इसे मुख्य खेत में ट्रांसप्लांट करें।
- पौध मजबूत और जीवित रहने की क्षमता अधिक होती है।
1️⃣1️⃣ क्रेट्स विधि से गन्ना नर्सरी (Sugarcane Nursery by Crates Method)
गन्ने की कलम (Healthy आँख वाले टुकड़े) को प्लास्टिक क्रेट्स/ट्रे में लगाया जाता है।
क्रेट्स में कोकोपीट, वर्मी कम्पोस्ट और मिट्टी (3:1:1 अनुपात) का मिश्रण भरा जाता है।
कलम को हल्के दबाव से मिश्रण में लगाया जाता है।
क्रेट्स को छायादार जगह या नर्सरी शेड में रखा जाता है।
7–10 दिन में अंकुरण शुरू हो जाता है और 25–30 दिन में पौधे तैयार हो जाते हैं।
फायदे (Advantages)
1. कम बीज गन्ना लगता है – पारंपरिक विधि की तुलना में 50% तक बचत।
2. समान आकार और स्वस्थ पौधे मिलते हैं।
3. स्थान की बचत होती है – कम जगह में ज्यादा पौधे तैयार हो जाते हैं।
4. ट्रांसप्लांट आसान – पौधे को जड़ों सहित मुख्य खेत में लगाया जा सकता है।
5. जीवित रहने की क्षमता (Survival Rate) 90–95% तक रहती है।
👉 टिप: क्रेट्स विधि खासकर बड़े किसानों और शुगर मिल नर्सरी प्रोजेक्ट्स के लिए बहुत उपयोगी है
निष्कर्ष (Conclusion)
गन्ने की नर्सरी लगाने के लिए परंपरागत विधि के साथ-साथ क्रेट्स विधि भी बहुत कारगर है। इससे पौधे जल्दी और समान रूप से तैयार होते हैं, लागत कम आती है और उत्पादन बढ़ता है। किसान भाई अगर इन तकनीकों को अपनाएँ तो अपनी गन्ने की फसल में उच्च पैदावार और गुणवत्ता सुनिश्चित कर सकते हैं।
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